अशोक लव के दोहे
रविवार, 22 अप्रैल 2018
Tar-Tar ho rahee hain Betiyan / Ashok Lav
बच्चियों को रौंद रहे , वहशी गली-गली,
कितनी असहाय अब,हो गई हैं बेटियाँ
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कैसे उठाकर बस्ते अब, जाएँ वे स्कूल,
वहाँ भी तार-तार, हो गई हैं बेटियाँ
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--अशोक लव
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